Wednesday, August 18, 2010

हे कर्म भूमि भारत
हे जनम भूमि भारत
तेरी जनम -जनम भर
आराधना करेंगे
हम अर्चना करेंगे
हम वंदना करेंगे
ऊँचा खड़ा हिमालय
आकाश चूमता है है
नीचे चरण पखारे
नित सिन्धु झूमता है
नदिया लहर -लहर लहरायें
आँचल बनकर तेरा
फूलो ने छटा बिखेरी
प्यारा देश है मेरा
भिन्न -भिन्न भाषाएँ इसकी
भिन्न -भिन्न वेश है इसके
एक माला मे गुंथे हुए है
रंग -बिरंगे फूल है इसके
सुर-नर ,मुनिजन जिसका यश गाते
कर्मभूमि बनाने को अपनी लालायित रहते
दुनिया के माथे की बिंदी

जिसकी भाषा प्यारी हिंदी
त्याग ,प्रेम, बलिदान सिखाये
प्रेम -अहिंसा को जग मे फैलाये
हे वन्द्नीयेभारत ,अभिनान्द्नीये भारत
तेरी जनम -जनम भर आराधना करेंगे