Saturday, September 29, 2012

भाषा कुदरत की एक बडी नेमत है। यह हमारे आपके बीच जुडाव के लिए तो आवश्यक है ही, कॅरियर की बिखरी लडियों को जोडने में भी कारगर है। देखा भी गया है कि आज हमारे पास उन कॅरियर विकल्पों की कमी नहीं है जो विशुद्ध रूप से किसी भाषा से जुडे हैं। पर जब इन भाषाओं में चर्चा हिंदी की हो तो बात आम से खास हो जाती है। जी हां, आज कॅरियर कीनित बढती चुनौतियों के बीच मातृभाषा हिंदी एक करुणामयी मां की तरह अपने बच्चों को सुखद भविष्य का अंाचल दे रही है। यदि आप भी हिंदी भाषी हैं और इसके सहारे कॅरियर की तमाम रौनकों पर खुद का नाम लिखना चाहते हैं तो आपके लिए इस समय काफी अवसर हैं।
विशाल दायरा, बढती संभावनाएं आज हमारे इर्द-गिर्द हिंदी की दुर्दशा और अंग्रेजी का बखान करते कई लोग मिल जाएंगे, लेकिन सच तो यह है कि आज हिंदी में कॅरियर की कई संभावनाएं जन्म ले चुकी हैं। दरअसल कुछेक सालों से हिंदी को परवान देने में इसके विशाल परिक्षेत्र ने खास भूमिका निभाई है। कहने का अर्थ यह कि आज हिंदी दुनिया की दूसरी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। देश दुनिया में करीब 50 करोड लोग इसे बोलते हैं, वहीं करीब 90 करोड लोग पूरी दुनिया में हिंदी समझ सकते हैं। स्वयं भारत के अनेक राज्यों में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। इसकी समृद्धता का अंदाज इसी बात से लगा सकते हैं कि हिंदी की 30 से ज्यादा बोलियां आज उत्तर, मध्य भारत के शहरों, गांवों, कस्बों में प्रचलित हैं। और तो और देश-दुनिया के सर्वाधिक पढे जाने वाले अखबार और सर्वाधिक देखे जाने वाले टीवी चैनल हिंदी के ही हैं। तो फिर अचरज किस बात का, आखिर जिस भाषा का विस्तार इतना अधिक है तो अवसर तो होंगे ही।
कॅरियर का सरल व्याकरण
एक दौर था जब हिंदी व उससे जुडे रोजगार, काम चलाऊ कॅरियर विकल्प के तौर पर गिने जाते थे। पर आज वैश्वीकरण की गर्माहट से सिकुडी दुनिया में हिंदी बढ रही है। इसके कद्रदानों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। न केवल कद्रदान बल्कि विशुद्ध रूप से हिंदी भाषा आधारित पेशों में भी युवाओं की मांग बढी है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, रेडियो, फिल्मों, टीवी धारावाहिकों में आज अच्छी हिंदी जानने वाले युवाओं के लिए गुंजाइशें हैं। तब्दीली का आलम तो यह है कि हिंदी को ग्लैमर विहीन, सीमित अवसर वाला क्षेत्र समझने वाले लोग ही हिंदी मीडिया, फिल्म समेत कई क्षेत्रों में संपादक, एंकर, आरजे, अनुवादक, कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव, कहानीकार, गीतकार, डबिंग आर्टिस्ट, डायलॉग राइटर बन भविष्य संवार रहे हैं। इसके अलावा सरकारी विभागों में भी आज हिंदी जानने वालों की पूछ है। यहां हिंदी अधिकारी, प्रूफ रीडर, हिंदी शिक्षक ,दूतावासों में दुभाषिए, अनुवादकों के तौर पर रोजगार के अच्छे मौके हैं। यही कारण है कि इन दिनों हिंदी की लोकप्रियता बढती ही जा रही है और तमाम विरोधों के बावजूद अपनी विशेषता और आम लोगों में पहुंच के कारण पहले से बेहतर स्थिति में है। कोर्स ने दिखाए नए पहलू
हिंदी में अवसरों की नई खेप देखते हुए देश में परंपरागत हिंदी कोर्सों के साथ जॉब के लिहाज से नए नवेले कोर्सो को भी प्रमुखता मिली है। ये सभी कोर्स आपको परंपरागत अकादमिक पेशे से लेकर भाषा अधिकारी, पत्रकार/लेखक के रूप में परिपक्व बनाते हैं। इनमें हिंदी भाषा/भाषा तकनीक में एमए, एमफिल, पीएचडी, हिंदी अनुवाद में पीजी डिप्लोमा, फंक्शनल हिंदी मे एमए/ पीजी डिप्लोमा, हिंदी पत्रकारिता में एमए/पीजी डिप्लोमा, रचनात्मक लेखन में पीजी डिप्लोमा खास हैं।
क्यों मनाते हैं ¨हदी दिवस
हिंदी के विशाल क्षेत्र और देववाणी संस्कृत से इसकी निकटता को देखते हुए 14 सितम्बर 1949 को देश कीसंविधान सभा ने हिंदी को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। इसी कारण हर साल 14 सितबर देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बढ रही ¨हदी की हस्ती
हिंदी महज संवाद का साधन भर नहीं बल्कि हमारी पहचान भी है। बदले समाज व व्यापक होती जरूरतों के बीच हिंदी ने तेजी से अपने पंख पसारे हैं..
कोई कुछ भी कहे, लेकिन मातृभाषा मातृभाषा ही होती है। हम बाहर से कितने ही आडंबर कर लें कितना ही पश्चिम की रौ में बहते दिखें, लेकिन असलियत तो यह है कि हममें से अधिकतर के वैचारिक चितंन की ऊर्जा, मातृभाषा के सोते से ही फूटती है। पिछले कुछ समय में बाजार ने इस विचार को तेजी से अपनाया है। तभी तो तमाम विरोधाभासों केबावजूद हिंदी की जमीन पहले से मजबूत हुई है। खर आज तो स्थिति यह है कि हिंदी, देश व क्षेत्र की सीमाओं से परे अपनी वैश्विक पहचान बना रही है।
भारतीयता का आकर्षण
वैश्वीकरण की आवश्यकताओं व भारतीय संस्कृति की ओर दुनिया के रुझान के चलते आज अमेरिका, यूरोप के कई देशों में भारतीयता एक ब्रांड बन चुकी है। भारत को जानने समझने की बढी ललक के कारण आज इन देशों में इंडिया स्टडी सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। इन केंद्रों में भारतीय धर्म, इतिहास, संस्कृति, हिंदी भाषा पर शोधकार्य के साथ इन चीजों का पठन-पाठन भी होता है। इतना ही नहीं खुद यूरोप के नामी शक्षिक संस्थानों में जर्मन, फ्रै ंच जैसी भाषाओं के साथ ¨हदी को बतौर विदेशी भाषा पाठ्यक्रम में जगह दी जा रही है।
फिल्मों ने बढाई दीवानगी
आज भारतीय फिल्म, गानों की देश-दुनिया में बढती दीवानगी हिंदी भाषा के प्रसार में सहायक बन रही है। आज अफ्रीका से लेकर लेटिन अमेरिका, यूरोप के कई देशों में भारतीयता का ककहरा भी न जानने वालों के लोगों की जुबान पर हिंदी गाने, डायलॉग रहते हैं। आखिर कौन भूल सकता है पचास का वह दौर जब सिर पर लाल टोपी रूसी गाने पर थिरकते राजकपूर सोवियत रूस का सबसे शोहरतमंद चेहरा बन गए थे। आज भी मोटे दामों में बिकते भारतीय फिल्मोंके ओवरसीज राइट विदेशों में हिंदी फिल्मों की बढते बाजार की तस्दीक करते हैं।
ग्लोबलाइजेशन से चमकी ¨हदी
पिछले बीस पच्चीस सालों में वैश्वीकरण की आंधी से कोई नहीं बच सका है। हमारी रोज की जिंदगी से लेकर बडे कॉरपोरेट निर्णय तक वैश्वीकरण से प्रभावित हैं। पर जहां तक बात हिंदी की है, तो वैश्वीकरण से इसे गजब का फायदा मिला है। आज की तारीख में पेप्सी, रिबॉक, जनरल मोटर्स, टाटा जैसे बडे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भारतीय ग्राहकों से खांटी हिंदी में संवाद स्थापित कर रहे हैं। इन कंपनियों की कॉरपोरेट कार्यशली, पीआर कैंपेन पर हावी हिंदी का असर इस भाषा की ताकत की नुमाइश कर रहे हैं।
शासकीय संरक्षण ने दिया मुकाम
हिंदी आज देश के सबसे बडे हिस्से की प्रथम भाषा है। लिहाजा सरकार इसके प्रचार-प्रसार को बढावा देने में लगी है। सरकारी कार्यालयों में हिंदी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को बढावा दिया जा रहा है। हर साल मनाए जाने वाले हिंदी सप्ताह, हिंदी पखवाडा,हिंदी दिवस सरकार की इसी मंशा के कुछ उदाहरण हैं।
मीडिया ने लगाए पंख
माना जाता है कि अखबार व समाचार चैनल जनता का मूड तय करते हैं। आजयही अखबार, चैनल हमारी विचारों के साथ हमारी भाषा भी परिष्कृत कर रहे हैं। टीआरपी में दर्ज आंकडों पर गौर करें तोआज देश में हिंदी समाचार, मनोरंजन चैनलों के दर्शकों की संख्या सर्वाधिक है। आनंदी, जग्या, तपस्या, शिमर जैसे हिंदी धारावाहिकों के पात्रों की लोकप्रियता केवल इन पात्रों या कथानकों भर की लोकप्रियता नहीं बल्कि भारत में हिंदी की लोकप्रियता की भी कसौटी हैं। वहीं बडे पैमाने पर इंग्लिश, तमिल, तेलुगू, कन्नड की फिल्मों की हिंदी में प्रस्तुति भी बोलबाले को स्पष्ट करती है।
हदी भाषा में जॉब की बहार
आज हिंदी भाषा अवसरों की जुबान में तब्दील हो रही है। यहां ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां आप अपनी शानदार हिंदी के बल पर धूम मचा सकते हैं। लेकिन कैसे.
हिंदी विषय के तौर पर तो छात्रों में काफी पहले से ही लोकप्रिय थी, लेकिन कॅरियर के बाजार में आज यही लोकप्रियता जॉब्स की शक्ल ले रही है। आप चाहे निजी क्षेत्र के साथ जुडें या फिर सरकारी या स्वतंत्र ढंग से कार्य करें, हिंदी इन दिनों नई व ताजा संभावनाओं से लबरेज है। यही कारण है कि आजकल सभी हिंदी सीख रहे हैं।
अकादमिक क्षेत्र दे रहे रौनक
अकादमिक क्षेत्र में आज हिंदी परास्नातकों, शोधकर्ताओं की अच्छी मांग है। दरअसल प्राइमरी से लेकर 12वीं तक हिंदी के अनिवार्य विषय होने के नाते व उसके बाद यूनिवर्सिटी स्तर पर छात्रों की बडी पसंद के चलते हिंदी विषय के शिक्षकों/ लेक्चरर/ प्रोफेसरों की जरूरत हरदम रहती है। अगर आपकी रुचि हिंदी में है और आप हिंदी से एकेडमिक क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए कॅरियर का बेहतरीन विकल्प सकता है।
मीडिया में है हिंदी के लिए मौके
आज सबसे अधिक नौकरी इस क्षेत्र में है। मीडिया में आने के बाद पद, प्रतिष्ठा और पैसे तीनों खूब मिलते हैं। इसमें विकल्प भी काफी होता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में सबसे अधिक नौकरी के अवसर हैं। हिंदी के अच्छे जानकारों के लिए मीडिया एक बेहतर ठिकाना है। हालांकि यहां काम करने के लिए आपको अच्छी हिंदी के साथ पत्रकारिता में डिग्री/ डिप्लोमा की भी दरकार होगी। वेबसाइट, मैग्जीन, अखबार, न्यूज चैनल, विज्ञापन एजेंसियों में हिंदी पर पकड रखने वालों के लिए समृद्ध अवसर हैं। उस पर अब तो न्यू मीडिया भी तेजी से अपने कदम बढा रहा है, जहां अच्छे हिंदी ब्लॉग राइटर, वेबसाइट कंटेट राइटर के साथ फ्रीलांसर को भी हाथों-हाथ लिया जा रहा है। अगर आपकी भाषा समृद्ध है और आप लेखन के जरिए पद, प्रतिष्ठा और पैसे चाहते हैं, तो मीडिया के क्षेत्र में आपके लिए अवसरों का संसार खुला हुआ है। आप अपनी योग्यता और रुचि के अनुरूप इसमें जॉब करके कॅरियर को ऊंचा मुकाम दे सकते हैं।






Sunday, August 26, 2012

दिल तोड़ने के खेल में
गलत शख्स को चुना है तुने इस बार
मै शीशा नहीं जो टूटकर बिखर जाऊँगी
मत कर कद्र तू मेरी
मेरी चाहत  की तो दुनिया दीवानी है
मै तो खुशबू का वो झोंका हू
जिधर चाहू महक जाउंगी
तुझे गुरुर किस बात का है
मै भी तो कुछ कम नहीं
कैसे सोच लिया तुने
तेरी बेरुखी से बिखर जाउंगी
इश्क की जंग में तू मुझे हरा नहीं सकता
ये बात और है
मै खुद को हारकर भी तेरी जीत चाहूँगी .................
वंदना शर्मा  

Saturday, August 18, 2012

भारतीय साहित्य == भारतीय + साहित्य
भारतीय = भारत हमारा देश है और हम सब भारतवासी  है ,हमारी पहचान , हमारी राष्ट्रीयता भारतीय है।
राष्ट्रीयता == आप किस देश के नागरिक है ,आपकी पहचान क्या है ,जिस प्रकार पाकिस्तान में रहने वाले पाकिस्तानी ,ब्रिटेन में रहने वाले ब्रिटिश , नेपाल में रहने वाले नेपाली उसी प्रकार भारत में रहने वाले भारतीय कहलाते है।

साहित्य ==सा +हित
समाज का हित अथार्त जिससे पुरे समाज का हित हो ,कल्याण हो, जो सामाजिक परिवर्तन करने में सक्षम हो ,जो समाज का प्रतिनिधित्व करे ,वोही साहित्य है .
भाषा == भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारो ,भावो का आदान -प्रदान दूसरो के साथ करते है .
हिंदी भाषा == यह एक वैज्ञानिक भाषा है ,जो कि ध्वनि विज्ञानं पर आधारित है ,इसकी लिपि देवनागरी है .प्रत्येक  वर्ण की एक निश्चित ध्वनि एवं एक निश्चित संकेत है।
ध्वनि == ध्वनि एक उर्जा है जो समस्त ब्रह्माण्ड में वयाप्त है ,हम जब बोलते है तो ध्वनि उर्जा के द्वारा अपने वक्तव्य को प्रभावी एवं चुम्बकीय बना देते है।
करियर == आगे ले जाने वाला। पूरी जिंदगी में जो हम पाना चाहते है ,वो उद्देश्य वो मंजिल जिसे हम पाना चाहते है कैरिअर होता है।
जॉब == वः कार्य जो हमारी जीविका का साधन होता है , जॉब कहलाता है।
लक्ष्य == यह छोटा होता है , इसकी सीमाये होती है
उद्देश्य == यह व्यापक होता है , यह सतत प्रक्रिया है, एक पूर्ण होता है दूजा बन जाता है, मंजिल से ज्यादा वो रस्ते महत्वपूर्ण होते है जिन पर चलकर हम वह तक पुहचे ,वो अनुभव हमे नया आत्मविश्वास और उर्जा देते है।
सिलेबस ==पाठ्यचर्या अथार्त पूर्ण शैक्षिक सत्न में विभिन्न विषयों में शिक्षक द्वारा छात्रों को दिए जाने वाले ज्ञान की मात्रा के विषय में निश्चित जानकारी प्रस्तुत करता है .शिक्षा -शब्दकोश में पाठ्यवस्तु के विषय में लिखा है "पाठ्यवस्तु अध्ययन की विषयवस्तु के मुख्य बिन्दुओ का कथन अथवा संक्षिप्त रुपरेखा है ".
पाठयक्रम = पाठयक्रम शब्द का उपयोग अब व्यापक अर्थ में होने लगा है क्योकी पाठ्यक्रम के अंतर्गत वे सभी अनुभव आते हैं ,जिन्हें छात्र विद्यालयी जीवन में प्राप्त करता है और जिनमे कक्षा के अंदर एवं बाहर आयोजित होने वाली पाठ्य एवं पाठ्योतर क्रियाएँ सम्मलित होती है।
गर्व = यह कार्य मै कर सकता हु
घमंड =इस कार्य को सिर्फ मै कर सकता हु
स्व को जानिए ,अपने देश अपनी भाषा , अपनी संस्कृति पर गर्व कीजिये .हिंदी का सम्मान आपका सम्मान है।

Saturday, July 28, 2012

जब मै छोटी थी बहुत बोलती थी , अब भी बोलती हु कभी कभी ,पर जब खुश होती हू तब ज्यादा बोलती हू , नहीं तो खामोश ही रहती हू ..............
मासूम ,निर्दोष ,चंचल मुस्कान चेहकती है
दूसरो के दुखदर्द को अपना समझती है
खिलती है ,मुस्कराती है ,सबको हसाती है
कहते है सब उसको 'बहुत -बहुत बोलती है
सबको प्यार लुटाती वो
सबके काम आती वो
बस ज़रा सा प्यार चाहती वो
उफ्फ्फ ! 'बहुत बोलती है '
लड़ती है ,झगड़ती है ,हँसती है
रूठती है ,रुठो हुओ को मनाती है
गम छुपाकर अपना हरदम मुस्कराती है
कैसी लड़की है-'बहुत बोलती है'
सबकी सुनती है ,कुछ अपनी सुनाती है
बच्चे ,बूढ़े सभी से बतयाती है
नहीं किसी का दिल दुखाती है
कहते है सब उसको 'बहुत बोलती है' .......
वंदना शर्मा

यह कविता मेरी छोटी बहन विनय को समर्पित है ............
एक थी लड़की नकचढ़ी
बाते करते बड़ी -बड़ी
गुस्सा हरदम नाक पे रहता
हँसती जैसे फूलों की लड़ी
चूहे से डर जाती वो
फिर भी शूरमा कहलाती वो
सबपे रोब जमाती वो
ऑर्डर देती खड़ी -खड़ी
एक थी लड़की नकचढ़ी ..........
किताब न उसके हाथ से हटती
राम जाने क्या क्या पढ़ती
आती जब परीक्षा की घड़ी
कर देती मेरी भी खटिया खड़ी
एक थी लड़की नकचढ़ी
 बातो की चाट  बनाती
 ख़ूब हींग - मिर्च उसमे लगाती
बड़ा प्यारा  सा मुह बनाती वो
मीठी -मीठी डाट लगाती 
अपनी बात पे रहती अड़ी -अड़ी  
एक थी लड़की .................
वंदना शर्मा 
यह कविता मेरी भतीजी मिट्ठू की याद में लिखी गयी है ,जब वो मेरे पास थी हम दोनों बहुत सरारते किया करते थे , पानी में छप -छप करना , शोर मचाना , गाने गाना दोनों दोनों साथ साथ करते ........
डेड़ फुट का नन्हा सा कद
होंसले उसके सबसे बुलंद
आसमां को मुट्ठी में कैद करना चाहे
कभी इधर कभी उधर
हिरनी सी उछल -कूद मचाए
नहीं लगता उसे किसी से डर
उसकी हरकतों से हम सब जाते डर
दिन भर जाने क्या क्या करती
सरे जहाँ की बाते करती
सबकी निगाहें उस पर रहती
कब जाने क्या कर दे
किसको  पीटे किसे बाहों में भर ले
चंचल ,चपल ,नटखट  नन्ही सी जान
इस नन्हे आतंकवादी से हम सब हैरान
इतनी उर्जा इतना जोश
उड़ा देती वो सबके होश
आगे -आगे वो ,पीछे -पीछे हम
सबकी लाडली करती सबकी नाक में दम .................
वंदना शर्मा

Wednesday, July 18, 2012

मोसम सावन का हो और बहार न हो
ऐसा भी होता है कहीं , नहीं होता ना
त्यौहार तीज का हो ,और झूला न हो
ऐसा भी होता है कहीं ,नहीं होता ना
घर से तो निकले मंजिल की ओर
और कोई राह ना मिले
ऐसा भी होता है कहीं ,नहीं होता ना
फूलों का गुच्छा हो और कोई काँटा न चुभे
बदलो की गड -गड हो और बारिश न हो
ख़ुशी से शोर मचाऊ और कोई वजह न हो
ऐसा भी होता है कहीं ,नहीं होता ना
क्रिया हो और प्रतिक्रिया न हो
परिणाम हो और कारन न हो
दिन तो हो और रात न हो
बसंत तो आये ,पर जाये न कहीं
ऐसा भी होता है कहीं , नहीं होता ना
होता है ,होता है ऐसा भी होता है
मेरे सपनो की दुनिया में
कुछ भी हो सकता है
ऐसा भी होता है ,वैसा भी होता है
जैसा भी होता है ,अच्छा ही होता है
तो फिर गम क्या ,हँसो और हँसते रहो
ऐसा भी होता है कहीं , नहीं होता ना ..................
वंदना शर्मा

किसी चेहरे पर छायी उदासी ने
मन को छुआ
द्रवित हो रहा था उसके दुःख में
पर ,दूजे ही पल
किसी चेहरे की चालाकी से
भर उठा मन घ्रणा से
एक ही पल में कहाँ गयी वो
ह्रदय की विशालता
कहाँ गया वो अपनापन
इतनी शीघ्र ,अनायास ही
ह्रदय परिवर्तन
समझ में तो नहीं आया
बल्कि , छोड़ गया एक
सवाल   मानस पर
क्यों कोई अच्छा लगता है
क्यों कोई अपना लगता है
किसी से कटा -कटा रहता है
ये मन केसे रूप बदलता है
छाव कहीं ,कहीं धुप
कहीं मेघ बरसता है
वंदना शर्मा 
मुझे शुरू से ही रास्ते अच्छे लगते है
मंजिल से ज्यादा
कभी परवाह नहीं की मैंने मंजिल की
बस जो करना है सो करना है
हर फैसला  उस उपरवाले पर छोड़ दिया
ये मेरे विश्वास की जीत थी शायद
कभी गिरने नहीं दिया मुझे
वंदना शर्मा  

Sunday, July 8, 2012

मेरे दर्द की दुनिया बहुत बड़ी है
मै एक लड़की हु
दर्द से गहरा नाता है मेरा
असहनीय दर्द सहकर भी सृजन करती हू
और मुस्कराती हू
मै एक कवि हू
सारी दुनिया का दर्द
मेरा दर्द बन कविता बन जाता है
पशु -पक्षी ,पेड़ो का दर्द भी आहत कर जाता है
इन सबसे ऊपर मै एक इन्सान हू
मानवता मेरा सबसे पहला धर्म है
इस दुनिया में जब कभी भी
कहीं भी मानवता आह्त होती है
तो दर्द मुझे होता है , आँखे मेरी रोती है
मेरे दर्द की दुनिया बहुत बड़ी है
दर्द से गहरा नाता है मेरा ..............
वंदना शर्मा 
बारिश चाहे बेमोसम हो
या मौसम से हो
मुझे तो किअच्छी लगती है
किसी को बुरी लगती है तो लगे
मुझे तो अच्छी लगती है
सडको पे किचच होती है
तो हो जाने दो
कहीं पर पानी भर जाने दो
अभी तो बस तन भीगा है
मन को तो भीग जाने दो
बड़े बनकर तुमने क्या पाया
ओढ़ गम्भीरता क्या पाया
चलो छोड़ो क्या खोया क्या पाया
कभी तो बच्चा बनकर देखो
ये पागलपन भी करके देखो
इन बूंदों के साथ मचलकर देखो
छप -छप  पानी में छप -छप करना
तेज़ गरज सुनकर डरना
चम्--चम् बिजली चमकने दो
होश सारा खोने दो
जो जलता है जलने दो
आज तो बारिश होने दो .......
वंदना शर्मा 

Monday, July 2, 2012

 कहाँ खो जाती हु मै
चली जाती हु ,किसी और दुनिया में
इस दुनिया से कहीं दूर  कुछ पल के लिए
आने पर पाती हु तनहा इस दुनिया में
जैसे जागी हु अभी गहरी नींद से
और समझने की करती हु कोशिश
अपने आस-पास की दुनिया को
कुछ अपने और कुछ सपने एक जैसे होते है
जितना पास होते है ,उतने दूर लगते है
जाने कहाँ खोई थी , किन्ही विचारो में
कोयल की कूक ने चेताया
 क्या था ऐसा जो ...
जो अभी तक समझ नहीं आया
कहीं तो कुछ है ,जो किये हुए है बेचैन
ये असीमित आकाश
ये उड़ते परिंदे 
दूर कहीं खोजती कुछ अपना सा
मेरी ये व्याकुल द्रष्टि
सब कुछ तो है जिंदगी में
फिर क्यों लगता है कुछ अधुरा सा
और इन अनजाने -जाने प्रश्नों में
कहीं खो जाती हु मै .............
वंदना शर्मा 

Sunday, July 1, 2012

 ये जिंदगी भी क्या जिंदगी है
मिलना है जिंदगी या बिछुड़ना है जिंदगी
या गमो में मुस्कराना है जिंदगी
अपने लिए नहीं   दुसरो के लिए जीना है जिंदगी
हर मोड़ पे   अकेले है हम
हम जिंदगी के साथ हैं या हमारे साथ जिंदगी है
  ऐसा लगता है हाथ से फिसलती जा रही है जिंदगी
    वक़्त  के हाथो मजबूर है हम
क्यों तनहा करती जा रही है जिंदगी  

Saturday, June 30, 2012

बुझती हुई उम्मीदों के लिए एक उम्मीद बनना चाहती हु
जो हँसा दे किसी रोते हुए को ,वो हँसी बनना चाहती हु
किसी को दे जीने का मकसद ,वो जिंदगी बनना चाहती हु
जो सबको लगे अपना सा वो एहसास बनना चाहती हु।.......
वंदना शर्मा 
दोस्तों , आज से मै अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रही हू , अब तक मैंने अपने जीवन मे जो भी गलतिया की है , या जाने-अनजाने किसी का दिल दुखाया हो तो उसके लिए आप सभी से क्षमा चाहती हू , मै भी एक इंसान हु ,पूर्ण नहीं हु , बहुत सी कमिया है मेरे अंदर भी , बहुत सी गलतिया की है अपनी जिंदगी में , पर अब मई अपना समय रोने -झीकने और शिकायेते करने में व्यर्थ बर्बाद करना नहीं चाहती , जो हो चूका वो अब बदला नहीं जा सकता , अब आने वाले कल को सवारना है , ये जिंदगी किसी के काम आये तभी इसकी सार्थकता है , मै कोशिश करुँगी ,किसी के चेहरे पे मुस्कान लाने की , किसी का दुःख कम करने की , किसी की निराशा बनने में उसकी आशा बनने की।मेरी इस छोटी सी कोशिश में क्या आप मेरे साथ है ?????????

Thursday, June 28, 2012

क्या कहे इसे
दीवानगी ,पागलपन या अदम्य साहस
मूर्खता तो नहीं कह सकते
जब सोच -समझकर खुद पिया जाता है ज़हर
पता है इस राह की मंजिल नहीं
पर रास्ते बहुत खुबसूरत है
और इंसान जाता है उसी राह
खुद को बर्बाद करने की हिम्मत
सबमे कहाँ होती है तो
क्या कहा जाये इसे
मोह्बब्त ,इबादत या कुछ और
इतना मनोबल होता है उस समय
दहकते अंगारों पर भी उसे
पथ की दहकता नहीं
किसी की ख़ुशी दिखाई देती है
हँसते -हँसते लुटा देता है अपना सबकुछ
किसी एक के चेहरे पे
लेन को मुस्कान
आज तक नहीं कर पाया परिभाषित
कोई भी इंसान
क्या है ये ? खुद मिटकर भी
देना दुसरो को मुस्कान
प्रेम ,इश्क , चाहत ,और
भी है कई इसके नाम .........
वंदना शर्मा 
भूल जाना उस समय मुझे
जब मै  तुम्हारी खुशियों के बीच आऊ
पर याद  रखना जब
तन्हाई आकर घेरे
मै मीठी यादो की मुस्कान
बन तुम्हारे होंठो पे सज जाऊ
जब जिंदगी की धुप तपाये तुम्हे
याद रखना उस वक़्त मुझे
तुम्हे शीतल करने को बारिश की बूंदे बन जाऊ
जब कोई साथ न दे अपना
जब टूटे कोई सपना
न दे दिखाई कोई राह
याद करना उस वक़्त मुझे
तुम्हारी हिम्मत , तुम्हारा सहारा बन जाऊ
तुम्हारी ख़ुशी ,तुम्हारी हसी बन जाऊ
जब विस्वास तुम्हारा डगमगाए
जब कोई मुस्किल पड़ जाये
याद करना उस वक़्त मुझे
तुम्हारा विश्वास , तुम्हारा साथ बन जाऊ
तुम्हारी जीत , तुम्हारी मंजिल बन जाऊ
भूल जाना उस समय मुझे
 जब मै तुम्हारी खुशियों के बीच आऊ ..........

Sunday, May 27, 2012

एक राजा की सुनो कहानी 
एक थी उसकी प्यारी रानी 
राजा को लगती भूख बहुत 
रानी को आती नींद बहुत 
रानी खाना बनाये केसे 
राजा भूख भगाए केसे 
एक दिन दोनों में हुई खूब लड़ाई 
एक -दूजे पर की तानो की खूब चढाई 
रानी थक कर रोने लगी 
राजा थक कर सोने लगा 
सुबह जब दोनों की आँख खुली 
अपनी अपनी गलती का एहसास हुआ 
दोनों ने अपनी गलती मानी 
नहीं लड़ेंगे फिर कभी ,दोनों ने ठानी 
ख़त्म हुई ये कहानी 
गुस्सा न करो पी लो पानी 
ये दुनिया है आनी -जानी 
सबसे बोलो मीठी वाणी .............
जी चाहता है समेट लू 
खुशियों को अपनी मुठी में 
जब भी होगा गमो से सामना 
खोल दूंगी इन पालो को चारो ओर 
और ये पल मुस्करायेंगे 
उस समय भी 
जब गीली होंगी पलके 
जब बुझने लगेंगी उम्मीदे 
तब इन यादो का दिया 
देगा मुझे नयी रौशनी 
मिलेगी नयी राह 
और में मुस्कराकर कहूँगी 
जिंदगी तू इतनी बुरी भी नहीं है ................
वंदना शर्मा 

Sunday, May 20, 2012

   एक अजीब दास्ताँ   इसक की पढ़ी मैंने 
 गलियाँ फूलो की छोड़ , कांटो की राह चुनी मैंने 
सबकी प्यास बुझाती नदिया देखी 
नदियों की प्यास बुझाता समंदर देखा 
पर उसी समंदर को प्यार में प्यासा देखा मैंने 
दो किनारे कभी न मिल पाए 
पर उन किनारों को पाने की आस में 
तडपती लहरें देखी मैंने 
धरती ने चाहा अम्बर से जब मिलना 
एक नयी छटा क्षितिज की तब देखी मैंने 
   एक अजीब दास्ताँ   इसक की पढ़ी मैंने 
एक बूँद प्यार की आस में 
सदिया लुटती देखी मैंने 
कान्हा का प्यार भी देखा मैंने 
राधा की तड़प भी देखी मैंने 
खुद मिटकर भी किसी को जिंदगी देना 
किसी की ख़ुशी के लिए 
किसी को आंसू पीते देखा मैंने 
टूटता तारा तो सबने देखा 
पर जिससे वो अलग हुआ 
उसका दर्द न देखा किसी ने 
चाँद की सुन्दरता देखी 
तारो की चमक भी देखी 
असीम आकाश की शुन्यता को भी देखा मैंने 
   एक अजीब दास्ताँ   इसक की पढ़ी मैंने
उफ़ ये गर्मी 
ज्येष्ठ की तपती दोपहरी 
इतनी उमस और बेचैनी 
छीन लेती है साडी  उर्जा 
उसपर बिजली की ये मनमानी 
आँखे भी तरसे शीतल छाया को 
रुखा -रुखा मौसम 
बारिश को तरसे मन  
केसे खिलखिलाए मन 
उफ्फ्फ ! ये गर्मी 
कुछ कम नहीं हो सकती 
 कैसे सहती होंगी ,वो मजदूर औरते 
जो  दिन भर  खेतो  व् भत्तो पे मजदूरी करती हैं 
और एक मैं हु छोटी सी जान 
गिरी -गिरी  अब गिरी 
जाने कहाँ कब गिरी
उफ्फ्फ  ये गर्मी
थोड़ी सी बारिश रोज़ नहीं हो सकती
उफ़ ये गर्मी ..............
  वंदना 

Saturday, May 19, 2012

ख़ुशी की तलाश मई हम दूर तक गए 
इधर न मिली  उधर न मिली 
यहाँ न मिली , वहां न मिली 
बैठी थी एक  कोने में 
लगी थी रोने-धोने में 
मैंने पूछा    क्या बात हुई 
नाम तो ख़ुशी ,और खोई हो झेमेलो में 
उसने कहा -
तुम्हारी उदासी मुझे 
नहीं   देती बाहर 
तुम मुस्कारो तो 
मैं आती हु बाहर 
जिसे  ढूँढा साडी दुनिया में 
मिल जाएगी तुम्हे अपनी हंसी में 
मेरे हँसते ही फैल गयी ख़ुशी 
चहुँ और और बखेर  दिए 
इन्द्रधनुषी रंग जिंदगी में 
अब मुझे हर पत्ता हँसता हुआ लगता है 
कबूतर का फुदकना , चिड़िया का चेह्कना 
सबमे संगीत बजता है 
बादलो से बनती -बिगडती आक्रति 
सुंदर है ये प्रक्रति 
बारिश की बूंदों में जीवन  समाया लगता है 
ख़ुशी ही ख़ुशी , मन की ख़ुशी 
मुझमे ही मिली , मेरी हंसी से खिली ..........
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
कभी तो अचानक से खुस हो जाता है 
एक  मासूम बच्चे की तरह खिलखिलाता रहता है 
कभी रुला देता है मेरी आँखों को सावन की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
कभी कुछ पाना चाहता है , सब खोकर भी 
कभी   खामोश हो जाता है ,शांत  पानी की तरह 
 जिसमे एक कंकर भी फेंको विचारो की 
तो तूफान उठते है जलजले की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
   उड़ता     है कभी आसमान में परिंदों की तरह 
कभी गम हो जाता है आँखों से ख्वाबो की तरह 
कभी नाचता है बेसुध होकर  मयूर की तरह 
कभी स्थिर हो जाता है एक चट्टान की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है ..............

Friday, May 18, 2012

ऐ  मेरे सहर ' बिजनौर '
तेरे बारे में दुनिया कुछ भी कहे 
पर मेरे लिए तू खास है 
तेरी गलियों में मेरा बीता 
वो सुनहरे दिन , वो स्कुल की यादें 
तेरे संग खेलकर बड़ी हुई 
वक़्त के तुफानो को दोनों ने झेला 
दुःख के झमेलों को , ख़ुशी के लम्हों को 
बदलते रिस्तो को , नित नए परिवेर्तन को 
दोनों ने साथ देखा हर समय 
तुने मुझे नयी पहचान दी 
एक नयी उड़ान दी 
जिंदगी के कुछ खास लम्हे भी 
जिए तेरी गोद में 
कुछ यादे अनकही 
कुछ खुस्बुए  अनछुई 
कुछ एहसास पहली बार जिए 
कुछ सपने तेरे साथ बुने 
कुछ बरसाते बड़ी खास रही 
वो पहली छुआन प्यार की 
वो मीठी बाते यार की 
तेरे संग संग तो जाना मैंने 
हर रंग जिंदगी का पहचाना मैंने 
ऐ मेरे सेहर , मेरे हमसफ़र 
तुझे है सलाम मेरा 
मेरी यादो में अमर रहेगा नाम तेरा 

Friday, May 11, 2012

मेरे पापा दुनिया के सबसे अछे पापा है ''सादा जीवन उच्च विचार ' उनकी जीवनशेली है . कठिन परिश्रम और देशप्रेम और ईमानदारी उनके व्यबहार म\में  है .मई जो कुछ भी हु आज अपने मम्मी पापा के प्यार और उनके दिए संस्कारो की वजह  से ही हु। मेरे पापा ने सुरु से बहुत संघर्ष किया है . उन्होंने ही मेरे विचारो को एक नया आकर दिया उनकी एक एक बात मुझे जिंदगी जीने का ढंग सिखाती है 
स्वाभिमान से जीना, दुसरो की मदद करना ,विनर्मता ,त्याग , दया ,व प्रेम सिखाया . मेरा गर्व , मेरा विस्वास मेरी ताकत है मेरे पापा . मुझे पता है मेरे पापा हमेशा मेरे लिए रक्षाकवच के रूप मई मेरे साथ है . तभी तो मई इतनी निडर और निर्भीक होकर अपनी बात कहती हु और सब पर रोब ज़मती हु -' मुझसे पंगा मत लेना मेरे पापा पुलिस में है '

Friday, April 20, 2012

साक्षात्कार प्रश्नावली
१) .आपके विचार मे कविता क्या है ?
२) वर्तमान कविता को किस प्रकार परिभाषित करेंगे ?
३) समकालीन कविता से आपका क्या तात्पर्य है ?
४) २१ बी सदी की कविता की खास बाते बताये
५) क्या आपके अनुसार आज की कविता वर्तमान समय का प्रतिनिधित्व कर रही है ?
६) आपके अनुसार एक कवि मे किन मूलभूत गुणों का होना आवश्यक है ?
७) क्या २१ बी सदी की कविता भारतीय संस्क्रति के सरंक्ष्रण और पोषण मे कोई भूमिका निभा सकती है , और वो भूमिका क्या हो सकती है ?
८) आपके अनुसार २१ बी सदी की कविता के समक्ष क्या चुनोतिया है ? और इसकी क्या सीमाएं है ?
९) आपके अनुसार २१ बी सदी की कविता की क्या उपलब्धिया है?
१०) आप वर्तमान युवा पीढ़ी को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
११) और अंत मे ,
आपके शुभ आशीर्वचन की प्रतीक्षा मे - वंदना शर्मा आपसे अपने लिए कुछ लिखने का विनर्म निवेदन करती है ......................................................


धन्यवाद
आपसे विनर्म निवेदन है अपना एक छायाचित्र स्व हस्ताक्षर सहित उपलब्ध करने की क्रपा करें ...................
वंदना शर्मा