Saturday, September 29, 2012

भाषा कुदरत की एक बडी नेमत है। यह हमारे आपके बीच जुडाव के लिए तो आवश्यक है ही, कॅरियर की बिखरी लडियों को जोडने में भी कारगर है। देखा भी गया है कि आज हमारे पास उन कॅरियर विकल्पों की कमी नहीं है जो विशुद्ध रूप से किसी भाषा से जुडे हैं। पर जब इन भाषाओं में चर्चा हिंदी की हो तो बात आम से खास हो जाती है। जी हां, आज कॅरियर कीनित बढती चुनौतियों के बीच मातृभाषा हिंदी एक करुणामयी मां की तरह अपने बच्चों को सुखद भविष्य का अंाचल दे रही है। यदि आप भी हिंदी भाषी हैं और इसके सहारे कॅरियर की तमाम रौनकों पर खुद का नाम लिखना चाहते हैं तो आपके लिए इस समय काफी अवसर हैं।
विशाल दायरा, बढती संभावनाएं आज हमारे इर्द-गिर्द हिंदी की दुर्दशा और अंग्रेजी का बखान करते कई लोग मिल जाएंगे, लेकिन सच तो यह है कि आज हिंदी में कॅरियर की कई संभावनाएं जन्म ले चुकी हैं। दरअसल कुछेक सालों से हिंदी को परवान देने में इसके विशाल परिक्षेत्र ने खास भूमिका निभाई है। कहने का अर्थ यह कि आज हिंदी दुनिया की दूसरी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। देश दुनिया में करीब 50 करोड लोग इसे बोलते हैं, वहीं करीब 90 करोड लोग पूरी दुनिया में हिंदी समझ सकते हैं। स्वयं भारत के अनेक राज्यों में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। इसकी समृद्धता का अंदाज इसी बात से लगा सकते हैं कि हिंदी की 30 से ज्यादा बोलियां आज उत्तर, मध्य भारत के शहरों, गांवों, कस्बों में प्रचलित हैं। और तो और देश-दुनिया के सर्वाधिक पढे जाने वाले अखबार और सर्वाधिक देखे जाने वाले टीवी चैनल हिंदी के ही हैं। तो फिर अचरज किस बात का, आखिर जिस भाषा का विस्तार इतना अधिक है तो अवसर तो होंगे ही।
कॅरियर का सरल व्याकरण
एक दौर था जब हिंदी व उससे जुडे रोजगार, काम चलाऊ कॅरियर विकल्प के तौर पर गिने जाते थे। पर आज वैश्वीकरण की गर्माहट से सिकुडी दुनिया में हिंदी बढ रही है। इसके कद्रदानों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। न केवल कद्रदान बल्कि विशुद्ध रूप से हिंदी भाषा आधारित पेशों में भी युवाओं की मांग बढी है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, रेडियो, फिल्मों, टीवी धारावाहिकों में आज अच्छी हिंदी जानने वाले युवाओं के लिए गुंजाइशें हैं। तब्दीली का आलम तो यह है कि हिंदी को ग्लैमर विहीन, सीमित अवसर वाला क्षेत्र समझने वाले लोग ही हिंदी मीडिया, फिल्म समेत कई क्षेत्रों में संपादक, एंकर, आरजे, अनुवादक, कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव, कहानीकार, गीतकार, डबिंग आर्टिस्ट, डायलॉग राइटर बन भविष्य संवार रहे हैं। इसके अलावा सरकारी विभागों में भी आज हिंदी जानने वालों की पूछ है। यहां हिंदी अधिकारी, प्रूफ रीडर, हिंदी शिक्षक ,दूतावासों में दुभाषिए, अनुवादकों के तौर पर रोजगार के अच्छे मौके हैं। यही कारण है कि इन दिनों हिंदी की लोकप्रियता बढती ही जा रही है और तमाम विरोधों के बावजूद अपनी विशेषता और आम लोगों में पहुंच के कारण पहले से बेहतर स्थिति में है। कोर्स ने दिखाए नए पहलू
हिंदी में अवसरों की नई खेप देखते हुए देश में परंपरागत हिंदी कोर्सों के साथ जॉब के लिहाज से नए नवेले कोर्सो को भी प्रमुखता मिली है। ये सभी कोर्स आपको परंपरागत अकादमिक पेशे से लेकर भाषा अधिकारी, पत्रकार/लेखक के रूप में परिपक्व बनाते हैं। इनमें हिंदी भाषा/भाषा तकनीक में एमए, एमफिल, पीएचडी, हिंदी अनुवाद में पीजी डिप्लोमा, फंक्शनल हिंदी मे एमए/ पीजी डिप्लोमा, हिंदी पत्रकारिता में एमए/पीजी डिप्लोमा, रचनात्मक लेखन में पीजी डिप्लोमा खास हैं।
क्यों मनाते हैं ¨हदी दिवस
हिंदी के विशाल क्षेत्र और देववाणी संस्कृत से इसकी निकटता को देखते हुए 14 सितम्बर 1949 को देश कीसंविधान सभा ने हिंदी को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। इसी कारण हर साल 14 सितबर देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बढ रही ¨हदी की हस्ती
हिंदी महज संवाद का साधन भर नहीं बल्कि हमारी पहचान भी है। बदले समाज व व्यापक होती जरूरतों के बीच हिंदी ने तेजी से अपने पंख पसारे हैं..
कोई कुछ भी कहे, लेकिन मातृभाषा मातृभाषा ही होती है। हम बाहर से कितने ही आडंबर कर लें कितना ही पश्चिम की रौ में बहते दिखें, लेकिन असलियत तो यह है कि हममें से अधिकतर के वैचारिक चितंन की ऊर्जा, मातृभाषा के सोते से ही फूटती है। पिछले कुछ समय में बाजार ने इस विचार को तेजी से अपनाया है। तभी तो तमाम विरोधाभासों केबावजूद हिंदी की जमीन पहले से मजबूत हुई है। खर आज तो स्थिति यह है कि हिंदी, देश व क्षेत्र की सीमाओं से परे अपनी वैश्विक पहचान बना रही है।
भारतीयता का आकर्षण
वैश्वीकरण की आवश्यकताओं व भारतीय संस्कृति की ओर दुनिया के रुझान के चलते आज अमेरिका, यूरोप के कई देशों में भारतीयता एक ब्रांड बन चुकी है। भारत को जानने समझने की बढी ललक के कारण आज इन देशों में इंडिया स्टडी सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। इन केंद्रों में भारतीय धर्म, इतिहास, संस्कृति, हिंदी भाषा पर शोधकार्य के साथ इन चीजों का पठन-पाठन भी होता है। इतना ही नहीं खुद यूरोप के नामी शक्षिक संस्थानों में जर्मन, फ्रै ंच जैसी भाषाओं के साथ ¨हदी को बतौर विदेशी भाषा पाठ्यक्रम में जगह दी जा रही है।
फिल्मों ने बढाई दीवानगी
आज भारतीय फिल्म, गानों की देश-दुनिया में बढती दीवानगी हिंदी भाषा के प्रसार में सहायक बन रही है। आज अफ्रीका से लेकर लेटिन अमेरिका, यूरोप के कई देशों में भारतीयता का ककहरा भी न जानने वालों के लोगों की जुबान पर हिंदी गाने, डायलॉग रहते हैं। आखिर कौन भूल सकता है पचास का वह दौर जब सिर पर लाल टोपी रूसी गाने पर थिरकते राजकपूर सोवियत रूस का सबसे शोहरतमंद चेहरा बन गए थे। आज भी मोटे दामों में बिकते भारतीय फिल्मोंके ओवरसीज राइट विदेशों में हिंदी फिल्मों की बढते बाजार की तस्दीक करते हैं।
ग्लोबलाइजेशन से चमकी ¨हदी
पिछले बीस पच्चीस सालों में वैश्वीकरण की आंधी से कोई नहीं बच सका है। हमारी रोज की जिंदगी से लेकर बडे कॉरपोरेट निर्णय तक वैश्वीकरण से प्रभावित हैं। पर जहां तक बात हिंदी की है, तो वैश्वीकरण से इसे गजब का फायदा मिला है। आज की तारीख में पेप्सी, रिबॉक, जनरल मोटर्स, टाटा जैसे बडे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भारतीय ग्राहकों से खांटी हिंदी में संवाद स्थापित कर रहे हैं। इन कंपनियों की कॉरपोरेट कार्यशली, पीआर कैंपेन पर हावी हिंदी का असर इस भाषा की ताकत की नुमाइश कर रहे हैं।
शासकीय संरक्षण ने दिया मुकाम
हिंदी आज देश के सबसे बडे हिस्से की प्रथम भाषा है। लिहाजा सरकार इसके प्रचार-प्रसार को बढावा देने में लगी है। सरकारी कार्यालयों में हिंदी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को बढावा दिया जा रहा है। हर साल मनाए जाने वाले हिंदी सप्ताह, हिंदी पखवाडा,हिंदी दिवस सरकार की इसी मंशा के कुछ उदाहरण हैं।
मीडिया ने लगाए पंख
माना जाता है कि अखबार व समाचार चैनल जनता का मूड तय करते हैं। आजयही अखबार, चैनल हमारी विचारों के साथ हमारी भाषा भी परिष्कृत कर रहे हैं। टीआरपी में दर्ज आंकडों पर गौर करें तोआज देश में हिंदी समाचार, मनोरंजन चैनलों के दर्शकों की संख्या सर्वाधिक है। आनंदी, जग्या, तपस्या, शिमर जैसे हिंदी धारावाहिकों के पात्रों की लोकप्रियता केवल इन पात्रों या कथानकों भर की लोकप्रियता नहीं बल्कि भारत में हिंदी की लोकप्रियता की भी कसौटी हैं। वहीं बडे पैमाने पर इंग्लिश, तमिल, तेलुगू, कन्नड की फिल्मों की हिंदी में प्रस्तुति भी बोलबाले को स्पष्ट करती है।
हदी भाषा में जॉब की बहार
आज हिंदी भाषा अवसरों की जुबान में तब्दील हो रही है। यहां ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां आप अपनी शानदार हिंदी के बल पर धूम मचा सकते हैं। लेकिन कैसे.
हिंदी विषय के तौर पर तो छात्रों में काफी पहले से ही लोकप्रिय थी, लेकिन कॅरियर के बाजार में आज यही लोकप्रियता जॉब्स की शक्ल ले रही है। आप चाहे निजी क्षेत्र के साथ जुडें या फिर सरकारी या स्वतंत्र ढंग से कार्य करें, हिंदी इन दिनों नई व ताजा संभावनाओं से लबरेज है। यही कारण है कि आजकल सभी हिंदी सीख रहे हैं।
अकादमिक क्षेत्र दे रहे रौनक
अकादमिक क्षेत्र में आज हिंदी परास्नातकों, शोधकर्ताओं की अच्छी मांग है। दरअसल प्राइमरी से लेकर 12वीं तक हिंदी के अनिवार्य विषय होने के नाते व उसके बाद यूनिवर्सिटी स्तर पर छात्रों की बडी पसंद के चलते हिंदी विषय के शिक्षकों/ लेक्चरर/ प्रोफेसरों की जरूरत हरदम रहती है। अगर आपकी रुचि हिंदी में है और आप हिंदी से एकेडमिक क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए कॅरियर का बेहतरीन विकल्प सकता है।
मीडिया में है हिंदी के लिए मौके
आज सबसे अधिक नौकरी इस क्षेत्र में है। मीडिया में आने के बाद पद, प्रतिष्ठा और पैसे तीनों खूब मिलते हैं। इसमें विकल्प भी काफी होता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में सबसे अधिक नौकरी के अवसर हैं। हिंदी के अच्छे जानकारों के लिए मीडिया एक बेहतर ठिकाना है। हालांकि यहां काम करने के लिए आपको अच्छी हिंदी के साथ पत्रकारिता में डिग्री/ डिप्लोमा की भी दरकार होगी। वेबसाइट, मैग्जीन, अखबार, न्यूज चैनल, विज्ञापन एजेंसियों में हिंदी पर पकड रखने वालों के लिए समृद्ध अवसर हैं। उस पर अब तो न्यू मीडिया भी तेजी से अपने कदम बढा रहा है, जहां अच्छे हिंदी ब्लॉग राइटर, वेबसाइट कंटेट राइटर के साथ फ्रीलांसर को भी हाथों-हाथ लिया जा रहा है। अगर आपकी भाषा समृद्ध है और आप लेखन के जरिए पद, प्रतिष्ठा और पैसे चाहते हैं, तो मीडिया के क्षेत्र में आपके लिए अवसरों का संसार खुला हुआ है। आप अपनी योग्यता और रुचि के अनुरूप इसमें जॉब करके कॅरियर को ऊंचा मुकाम दे सकते हैं।