Tuesday, April 20, 2010

जब कोई चिड़िया चहकती है
ठंडी हवा तन को छूकर गुजरती है
कुहू_कुहू कोयल गीत सुनाती है
इन हँसते हुए पौधों से नज़र नहीं हटती है
जब कल-कल पानी बहता है
मस्त पपीहा गाता है
सन्नाटा शोर मचाता है
समय ठहर जाता है
जब सब कुछ अच्छा लगता है
तब याद किसी की आती है
आँखे नाम हो जाती है
इ तड़प सी उठती है
वो पल मोती बन जाता है
vandna sharma

Thursday, April 15, 2010

बारिश कब तुम आओगी
कितना हमे तरसाओगी
सूरज कितना दहक रहा है
पत्ता पत्ता झुलस रहा है
ठंडी ठंडी फोहारे कब बरसाओगी
बारिश कब तुम आओगी
अम्बर प्यासा प्यासी धरती
कब इनकी प्यास बुझाओगी
बारिस कब तुम आओगी
सूख गए सब ताल तलैया
कर दो अपने आँचल की छाया
देख राह नैना तरस गए
सावन में भीगे बरस गए
छम छम करती कब आओगी
बारिस कब तुम आओगी
प्रकृति का श्रृंगार कर दो
हमपे ये उपकार कर दो
पानी की बौछार कर दो
नदियो में सन्गीत भर दो
भीगे तन भीगे मन
ऐसी बहारें कब लाओगी
बारिश कब तुम आओगी .

Saturday, April 10, 2010

कविता

मेरी किस्मत मुझको आजमा रही है
मैं किस्मत को आजमाती हूँ
जिंदगी तू मुझे जितना रुलाती है
मैं उतना मुस्कराती हूँ
हर बाधा मेरा होंसला बढाती है
तेरी बेरुखी मुझे जिद्दी बनती है
क्या हुआ जो मेरी रह में कांटे ही आये
गुलाब हूँ खुशबू लुटाती हूँ .