Tuesday, April 20, 2010

जब कोई चिड़िया चहकती है
ठंडी हवा तन को छूकर गुजरती है
कुहू_कुहू कोयल गीत सुनाती है
इन हँसते हुए पौधों से नज़र नहीं हटती है
जब कल-कल पानी बहता है
मस्त पपीहा गाता है
सन्नाटा शोर मचाता है
समय ठहर जाता है
जब सब कुछ अच्छा लगता है
तब याद किसी की आती है
आँखे नाम हो जाती है
इ तड़प सी उठती है
वो पल मोती बन जाता है
vandna sharma

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