Sunday, May 27, 2012

एक राजा की सुनो कहानी 
एक थी उसकी प्यारी रानी 
राजा को लगती भूख बहुत 
रानी को आती नींद बहुत 
रानी खाना बनाये केसे 
राजा भूख भगाए केसे 
एक दिन दोनों में हुई खूब लड़ाई 
एक -दूजे पर की तानो की खूब चढाई 
रानी थक कर रोने लगी 
राजा थक कर सोने लगा 
सुबह जब दोनों की आँख खुली 
अपनी अपनी गलती का एहसास हुआ 
दोनों ने अपनी गलती मानी 
नहीं लड़ेंगे फिर कभी ,दोनों ने ठानी 
ख़त्म हुई ये कहानी 
गुस्सा न करो पी लो पानी 
ये दुनिया है आनी -जानी 
सबसे बोलो मीठी वाणी .............
जी चाहता है समेट लू 
खुशियों को अपनी मुठी में 
जब भी होगा गमो से सामना 
खोल दूंगी इन पालो को चारो ओर 
और ये पल मुस्करायेंगे 
उस समय भी 
जब गीली होंगी पलके 
जब बुझने लगेंगी उम्मीदे 
तब इन यादो का दिया 
देगा मुझे नयी रौशनी 
मिलेगी नयी राह 
और में मुस्कराकर कहूँगी 
जिंदगी तू इतनी बुरी भी नहीं है ................
वंदना शर्मा 

Sunday, May 20, 2012

   एक अजीब दास्ताँ   इसक की पढ़ी मैंने 
 गलियाँ फूलो की छोड़ , कांटो की राह चुनी मैंने 
सबकी प्यास बुझाती नदिया देखी 
नदियों की प्यास बुझाता समंदर देखा 
पर उसी समंदर को प्यार में प्यासा देखा मैंने 
दो किनारे कभी न मिल पाए 
पर उन किनारों को पाने की आस में 
तडपती लहरें देखी मैंने 
धरती ने चाहा अम्बर से जब मिलना 
एक नयी छटा क्षितिज की तब देखी मैंने 
   एक अजीब दास्ताँ   इसक की पढ़ी मैंने 
एक बूँद प्यार की आस में 
सदिया लुटती देखी मैंने 
कान्हा का प्यार भी देखा मैंने 
राधा की तड़प भी देखी मैंने 
खुद मिटकर भी किसी को जिंदगी देना 
किसी की ख़ुशी के लिए 
किसी को आंसू पीते देखा मैंने 
टूटता तारा तो सबने देखा 
पर जिससे वो अलग हुआ 
उसका दर्द न देखा किसी ने 
चाँद की सुन्दरता देखी 
तारो की चमक भी देखी 
असीम आकाश की शुन्यता को भी देखा मैंने 
   एक अजीब दास्ताँ   इसक की पढ़ी मैंने
उफ़ ये गर्मी 
ज्येष्ठ की तपती दोपहरी 
इतनी उमस और बेचैनी 
छीन लेती है साडी  उर्जा 
उसपर बिजली की ये मनमानी 
आँखे भी तरसे शीतल छाया को 
रुखा -रुखा मौसम 
बारिश को तरसे मन  
केसे खिलखिलाए मन 
उफ्फ्फ ! ये गर्मी 
कुछ कम नहीं हो सकती 
 कैसे सहती होंगी ,वो मजदूर औरते 
जो  दिन भर  खेतो  व् भत्तो पे मजदूरी करती हैं 
और एक मैं हु छोटी सी जान 
गिरी -गिरी  अब गिरी 
जाने कहाँ कब गिरी
उफ्फ्फ  ये गर्मी
थोड़ी सी बारिश रोज़ नहीं हो सकती
उफ़ ये गर्मी ..............
  वंदना 

Saturday, May 19, 2012

ख़ुशी की तलाश मई हम दूर तक गए 
इधर न मिली  उधर न मिली 
यहाँ न मिली , वहां न मिली 
बैठी थी एक  कोने में 
लगी थी रोने-धोने में 
मैंने पूछा    क्या बात हुई 
नाम तो ख़ुशी ,और खोई हो झेमेलो में 
उसने कहा -
तुम्हारी उदासी मुझे 
नहीं   देती बाहर 
तुम मुस्कारो तो 
मैं आती हु बाहर 
जिसे  ढूँढा साडी दुनिया में 
मिल जाएगी तुम्हे अपनी हंसी में 
मेरे हँसते ही फैल गयी ख़ुशी 
चहुँ और और बखेर  दिए 
इन्द्रधनुषी रंग जिंदगी में 
अब मुझे हर पत्ता हँसता हुआ लगता है 
कबूतर का फुदकना , चिड़िया का चेह्कना 
सबमे संगीत बजता है 
बादलो से बनती -बिगडती आक्रति 
सुंदर है ये प्रक्रति 
बारिश की बूंदों में जीवन  समाया लगता है 
ख़ुशी ही ख़ुशी , मन की ख़ुशी 
मुझमे ही मिली , मेरी हंसी से खिली ..........
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
कभी तो अचानक से खुस हो जाता है 
एक  मासूम बच्चे की तरह खिलखिलाता रहता है 
कभी रुला देता है मेरी आँखों को सावन की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
कभी कुछ पाना चाहता है , सब खोकर भी 
कभी   खामोश हो जाता है ,शांत  पानी की तरह 
 जिसमे एक कंकर भी फेंको विचारो की 
तो तूफान उठते है जलजले की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
   उड़ता     है कभी आसमान में परिंदों की तरह 
कभी गम हो जाता है आँखों से ख्वाबो की तरह 
कभी नाचता है बेसुध होकर  मयूर की तरह 
कभी स्थिर हो जाता है एक चट्टान की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है ..............

Friday, May 18, 2012

ऐ  मेरे सहर ' बिजनौर '
तेरे बारे में दुनिया कुछ भी कहे 
पर मेरे लिए तू खास है 
तेरी गलियों में मेरा बीता 
वो सुनहरे दिन , वो स्कुल की यादें 
तेरे संग खेलकर बड़ी हुई 
वक़्त के तुफानो को दोनों ने झेला 
दुःख के झमेलों को , ख़ुशी के लम्हों को 
बदलते रिस्तो को , नित नए परिवेर्तन को 
दोनों ने साथ देखा हर समय 
तुने मुझे नयी पहचान दी 
एक नयी उड़ान दी 
जिंदगी के कुछ खास लम्हे भी 
जिए तेरी गोद में 
कुछ यादे अनकही 
कुछ खुस्बुए  अनछुई 
कुछ एहसास पहली बार जिए 
कुछ सपने तेरे साथ बुने 
कुछ बरसाते बड़ी खास रही 
वो पहली छुआन प्यार की 
वो मीठी बाते यार की 
तेरे संग संग तो जाना मैंने 
हर रंग जिंदगी का पहचाना मैंने 
ऐ मेरे सेहर , मेरे हमसफ़र 
तुझे है सलाम मेरा 
मेरी यादो में अमर रहेगा नाम तेरा 

Friday, May 11, 2012

मेरे पापा दुनिया के सबसे अछे पापा है ''सादा जीवन उच्च विचार ' उनकी जीवनशेली है . कठिन परिश्रम और देशप्रेम और ईमानदारी उनके व्यबहार म\में  है .मई जो कुछ भी हु आज अपने मम्मी पापा के प्यार और उनके दिए संस्कारो की वजह  से ही हु। मेरे पापा ने सुरु से बहुत संघर्ष किया है . उन्होंने ही मेरे विचारो को एक नया आकर दिया उनकी एक एक बात मुझे जिंदगी जीने का ढंग सिखाती है 
स्वाभिमान से जीना, दुसरो की मदद करना ,विनर्मता ,त्याग , दया ,व प्रेम सिखाया . मेरा गर्व , मेरा विस्वास मेरी ताकत है मेरे पापा . मुझे पता है मेरे पापा हमेशा मेरे लिए रक्षाकवच के रूप मई मेरे साथ है . तभी तो मई इतनी निडर और निर्भीक होकर अपनी बात कहती हु और सब पर रोब ज़मती हु -' मुझसे पंगा मत लेना मेरे पापा पुलिस में है '