Sunday, May 27, 2012

जी चाहता है समेट लू 
खुशियों को अपनी मुठी में 
जब भी होगा गमो से सामना 
खोल दूंगी इन पालो को चारो ओर 
और ये पल मुस्करायेंगे 
उस समय भी 
जब गीली होंगी पलके 
जब बुझने लगेंगी उम्मीदे 
तब इन यादो का दिया 
देगा मुझे नयी रौशनी 
मिलेगी नयी राह 
और में मुस्कराकर कहूँगी 
जिंदगी तू इतनी बुरी भी नहीं है ................
वंदना शर्मा 

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