Saturday, May 19, 2012

बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
कभी तो अचानक से खुस हो जाता है 
एक  मासूम बच्चे की तरह खिलखिलाता रहता है 
कभी रुला देता है मेरी आँखों को सावन की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
कभी कुछ पाना चाहता है , सब खोकर भी 
कभी   खामोश हो जाता है ,शांत  पानी की तरह 
 जिसमे एक कंकर भी फेंको विचारो की 
तो तूफान उठते है जलजले की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है 
   उड़ता     है कभी आसमान में परिंदों की तरह 
कभी गम हो जाता है आँखों से ख्वाबो की तरह 
कभी नाचता है बेसुध होकर  मयूर की तरह 
कभी स्थिर हो जाता है एक चट्टान की तरह 
बता मेरे मन तू क्या चाहता है ..............

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