बता मेरे मन तू क्या चाहता है
कभी तो अचानक से खुस हो जाता है
एक मासूम बच्चे की तरह खिलखिलाता रहता है
कभी रुला देता है मेरी आँखों को सावन की तरह
बता मेरे मन तू क्या चाहता है
कभी कुछ पाना चाहता है , सब खोकर भी
कभी खामोश हो जाता है ,शांत पानी की तरह
जिसमे एक कंकर भी फेंको विचारो की
तो तूफान उठते है जलजले की तरह
बता मेरे मन तू क्या चाहता है
उड़ता है कभी आसमान में परिंदों की तरह
कभी गम हो जाता है आँखों से ख्वाबो की तरह
कभी नाचता है बेसुध होकर मयूर की तरह
कभी स्थिर हो जाता है एक चट्टान की तरह
बता मेरे मन तू क्या चाहता है ..............
No comments:
Post a Comment