लिखेंगे
एक नया इतिहास
हम भी लिखेंगे
जो समय से मुक्त
अमर होगा
हर दिल से जुडा होगा
सपना हर आँख का होगा
खिलेगी
आशा की एक किरण
नै रौशनी, नै दिशा
नए सपने, नया सवेरा
प्यार और विस्वास से सबको अपनाकर
एक कदम हमने बढाया
एक कदम तुम बढाओ
चलेंगे साथ-साथ
बढ़ेंगे साथ-साथ
लिखेंगे
एक नया इतिहास
हम भी लिखेंगे
Sunday, August 21, 2011
जिंदगी मेरी परीक्षा लेती रही
कभी गिरती मैं ,कभी उठती रही
बस एक कसक दिल मे यही रही
समझा क्यों नहीं किसी ने मुझे
क्या इसमें भी गलती मेरी रही
सिर्फ देना और देना ही सीखा मैंने
लेने की चाह कभी न रही
फिर भी मिली बेरुखी और तन्हाई
क्या इसमें भी गलती मेरी रही
लाख गहरा हो सागर सही
पर मैं एक बूँद के लिए तरसती रही
आयी घटा बदल भी खूब बरसे
पर मेरे मन की धरती प्यासी रही
क्या इसमें भी गलती मेरी रही
कभी मिटती ,कभी बनती रही
जिंदगी मेरी परीक्षा लेती रही
कभी गिरती मैं ,कभी उठती रही
बस एक कसक दिल मे यही रही
समझा क्यों नहीं किसी ने मुझे
क्या इसमें भी गलती मेरी रही
सिर्फ देना और देना ही सीखा मैंने
लेने की चाह कभी न रही
फिर भी मिली बेरुखी और तन्हाई
क्या इसमें भी गलती मेरी रही
लाख गहरा हो सागर सही
पर मैं एक बूँद के लिए तरसती रही
आयी घटा बदल भी खूब बरसे
पर मेरे मन की धरती प्यासी रही
क्या इसमें भी गलती मेरी रही
कभी मिटती ,कभी बनती रही
जिंदगी मेरी परीक्षा लेती रही
वोही चेहरा
बरसो बाद आज फिर वही चेहरा दिखाई दे गया
वही मुस्कान ,वही अंदाज़
कुछ यादो की सोगात दे गया
मुस्करा पड़ी थी ,मुस्कान उसकी देखकर
खिल उठी थी मै, खिलता उसे देखकर
पर सोचती हू
कहीं ये सिलसिला ,फिर शुरू न हो
आगे बढ़ते पैरो में
यादो की ज़ंजीर न हो
छोड़ आयी जिन यादो को
वक़्त के किसी मोड़ पर
वर्तमान क्यों गवाऊं उन्हें यद् कर
सच है ये टुटा आइना फिर जुड़ नहीं सकता
टूटकर डाली से फूल फिर खिल नहीं सकता
जोड़ो कितना ही टूटे हुए धागे को गांठ पद ही जाती है
मत देख वो खवाब जो सच हो नहीं सकता
बरसो बाद आज फिर वही चेहरा दिखाई दे गया
वही मुस्कान ,वही अंदाज़
कुछ यादो की सोगात दे गया
मुस्करा पड़ी थी ,मुस्कान उसकी देखकर
खिल उठी थी मै, खिलता उसे देखकर
पर सोचती हू
कहीं ये सिलसिला ,फिर शुरू न हो
आगे बढ़ते पैरो में
यादो की ज़ंजीर न हो
छोड़ आयी जिन यादो को
वक़्त के किसी मोड़ पर
वर्तमान क्यों गवाऊं उन्हें यद् कर
सच है ये टुटा आइना फिर जुड़ नहीं सकता
टूटकर डाली से फूल फिर खिल नहीं सकता
जोड़ो कितना ही टूटे हुए धागे को गांठ पद ही जाती है
मत देख वो खवाब जो सच हो नहीं सकता
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