कितनी ही किताबें पढ़ डाली कितने ही खंगाल डेल ग्रन्थ पर एक किताब है ज़िंदगी अजीब इबारत है इसमें लिखी न पढ़ी जाये ,न छोड़ी जाएँ……
काश मिल जाये कुछ पल फुर्सत के आज खुद को बर्बाद करने की तम्मना है बहुत हो गयी व्यस्तता कुछ पल बस यूँ ही खाली बिना कुछ किये समय बिताने की तम्मना है कोण कहता है अकेले खुस नहीं रह सकते ख़ुशी को आज गले लगाने की तम्मना है कभी बेवज़ह हंसना ,मुस्कराना कभी यूँ ही शोर मचाना आज खुद से ही बातें करने की तमन्ना है काश मिल जाये कुछ पल फुर्सत के ………