बुझती हुई उम्मीदों के लिए एक उम्मीद बनना चाहती हु
जो हँसा दे किसी रोते हुए को ,वो हँसी बनना चाहती हु
किसी को दे जीने का मकसद ,वो जिंदगी बनना चाहती हु
जो सबको लगे अपना सा वो एहसास बनना चाहती हु।.......
वंदना शर्मा
जो हँसा दे किसी रोते हुए को ,वो हँसी बनना चाहती हु
किसी को दे जीने का मकसद ,वो जिंदगी बनना चाहती हु
जो सबको लगे अपना सा वो एहसास बनना चाहती हु।.......
वंदना शर्मा