Saturday, June 30, 2012

बुझती हुई उम्मीदों के लिए एक उम्मीद बनना चाहती हु
जो हँसा दे किसी रोते हुए को ,वो हँसी बनना चाहती हु
किसी को दे जीने का मकसद ,वो जिंदगी बनना चाहती हु
जो सबको लगे अपना सा वो एहसास बनना चाहती हु।.......
वंदना शर्मा 

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