Thursday, April 15, 2010

बारिश कब तुम आओगी
कितना हमे तरसाओगी
सूरज कितना दहक रहा है
पत्ता पत्ता झुलस रहा है
ठंडी ठंडी फोहारे कब बरसाओगी
बारिश कब तुम आओगी
अम्बर प्यासा प्यासी धरती
कब इनकी प्यास बुझाओगी
बारिस कब तुम आओगी
सूख गए सब ताल तलैया
कर दो अपने आँचल की छाया
देख राह नैना तरस गए
सावन में भीगे बरस गए
छम छम करती कब आओगी
बारिस कब तुम आओगी
प्रकृति का श्रृंगार कर दो
हमपे ये उपकार कर दो
पानी की बौछार कर दो
नदियो में सन्गीत भर दो
भीगे तन भीगे मन
ऐसी बहारें कब लाओगी
बारिश कब तुम आओगी .

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