Saturday, April 10, 2010

कविता

मेरी किस्मत मुझको आजमा रही है
मैं किस्मत को आजमाती हूँ
जिंदगी तू मुझे जितना रुलाती है
मैं उतना मुस्कराती हूँ
हर बाधा मेरा होंसला बढाती है
तेरी बेरुखी मुझे जिद्दी बनती है
क्या हुआ जो मेरी रह में कांटे ही आये
गुलाब हूँ खुशबू लुटाती हूँ .

1 comment:

  1. kismat se ladne ka housla deti pratit hoti hai aap ki yeh kavita

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