Sunday, August 26, 2012

दिल तोड़ने के खेल में
गलत शख्स को चुना है तुने इस बार
मै शीशा नहीं जो टूटकर बिखर जाऊँगी
मत कर कद्र तू मेरी
मेरी चाहत  की तो दुनिया दीवानी है
मै तो खुशबू का वो झोंका हू
जिधर चाहू महक जाउंगी
तुझे गुरुर किस बात का है
मै भी तो कुछ कम नहीं
कैसे सोच लिया तुने
तेरी बेरुखी से बिखर जाउंगी
इश्क की जंग में तू मुझे हरा नहीं सकता
ये बात और है
मै खुद को हारकर भी तेरी जीत चाहूँगी .................
वंदना शर्मा  

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