Thursday, October 4, 2018

सबके घर खुशहाली आये

इस दिवाली सबके घर जगमगाये 
किसी की आँख में आंसू न आये 
जो आँखे तरस गयी किसी के इंतज़ार में 
उनके आँगन मिलान की बेला आये 
इस दिवाली सबके घर जगमगाये 
कोई भूखा न रहे ,कोई तनहा न रहे 
आओ सब मिलकर ,खुशियों के दीप जलाये 
सबका सपना पूरा हो ,ना शिकवा रहे किसी से 
न कोई आंसू बहाये 
इस दिवाली सबके घर जगमगाये  
सबके घर खुशहाली आये 
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कभी रहता था दिवाली का इंतज़ार 
गिनते रहते थे दिन बार बार 
सबसे छुपकर करते थे तैयारी 
घर को सजाते थे बारी बारी 
कहा गए वो बचपन के दिन 
ना वो इंतज़ार रहा , ना वो पागलपन 
सबकी ज़िंदगी में है बड़ी उलझन 
कैसे करें स्वागत इन खुशियों का 
वक़्त कहाँ है अपने लिए सोचने का 
कब दिन ढला कब रात आयी 
कब नींद से जागी ,कब नींद आयी 
सोचती हूँ कर दू बगावत खुद से 
छोड़ सारी दुनिया जुड़ जाऊं खुद से 
कुछ पल चुरा लू अपने लिए 
कुछ पल जी लू अपने लिए 
बड़ी कमजोर है ज़िंदगी की डोर 
क्यों न इसके टूटने से पहले 
सपनो को सजाया जाये 
रुख खुशियों का मोड़ दे अपनी ओर  

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