Thursday, September 20, 2018

वो मस्ती भरे दिन 

वो मस्ती भरे दिन
वो मस्ती भरे दिन 
वो पीपल की छाँव 
वो सखियों का साथ 
लाल परी ,नीली परी 
पोशम्पा -भई पोशम्पा 
बोल मेरी मछली कितना पानी 
वो नन्हा सा राजकुमार 
वो परियो की कहानी 
वो बचपन आज बहुत याद आया 
आज तो कैसा सूनापन है 
खाली चौपाल ,खाली आँगन है 
वो नन्ही चिड़िया भी आज नहीं आयी 
वो नानी का घर ,वो दादी का प्यार 
फिर से पाने को आँखे छलक आयी 
एक -दूजे के लिए आज वक़्त नहीं है 
पर नेटफ्रैंड की कमी नहीं है 
इस तकनीकी दुनिया ने सबकुछ छीन लिया 
नन्हे-मुन्हो से उनका भोला बचपन 
और बड़ो से उनका सुख-चैन 
दुनिया को तो जोड़ा पर 
अपनी ही जड़ो से तोड़ दिया -------------

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