तुम नहीं समझोगे
तन्हाई में भी एक नशा है
इंतज़ार का भी अपना मज़ा है
कभी किसी के लिए मिटकर देखो
सबकुछ खोने में भी एक मज़ा है
समय कभी नहीं ठहरता ,पर
कुछ पल के लिए ठहर कर देखो तुम
कभी खुद को भुलाकर देखो तुम
शब्दो से परे एहसास की दुनिया में जाकर देखो तुम
सिर्फ फलक को ही न देखो
कभी इस ज़मी को भी प्यार से देखो तुम
अपने अंदाज़ से रोज़ जीते हो अपनी ज़िंदगी
आज मेरी तरह जीकर देखो तुम
कभी खुद को भुलाकर देखो तुम
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माँ क्या तू मुझको जन्म ना देगी
तेरी ही परछाई हु माँ
क्या तू भी मेरा साथ ना देगी
माँ बस ज़रा सी हिम्मत कर
तू शक्ति है तू दुर्गा है
यूँ ना दुनिया से डर
माँ क्या मेरा साथ देगी
तू चाहे तो मैं दुनिया में आ सकती हूँ
तेरी हर खवाइश पूरी कर सकती हूँ
क्या मुझको तू आवाज़ न देगी
माँ क्या तू मुझको जन्म ना देगी
सारी दुनिया को मैं जानू
तेरा अंश हूँ तुझको पहचानूँ
तेरी कोख में सुरक्षित खुद को पाया
एक तू है जिसने अपनाया
क्या मुझे अपने ख्वाब ना देगी
क्या तू मुझको जन्म ना देगी
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मनुष्य के जन्म के साथ ही
शुरू हो जाता है बढ़ना
रिश्तो का मायाजाल
कुछ महीने तक बच्चा सिर्फ
माँ को जानता है
बाद में जुड़ते चले जाते हैं रिश्ते
पापा ,भाई -बहिन ,चाचा ताऊ
बुआ मौसी मामी। ......
और जैसे -जैसे होता है बड़ा
छूटने लगते हैं रिश्ते
एक उम्र आती है ऐसी
जब पति -पत्नी को अपने सिवा
सब रिश्ते बेमानी लगते हैं
क्या स्वार्थ पर टिका होता है हर रिश्ता
बस माँ -बाप का प्यार निस्वार्थ होता है ?
वक़्त के साथ सभी रिश्ते
लगते हैं छूटने
रह जाता है बस एक सहारा
पति पत्नी बन जाते हैं
जब एक -दूजे सहारा
सोचते है तब ज़िंदगी में
क्या जीता क्या हारा
अजीब होते हैं रिश्ते ???
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निराशा में आशा की किरण है मेरी माँ
मेरा विश्वास ,मेरी ताक़त है मेरी माँ
मेरी शान मेरी पहचान है मेरी माँ
मैं हमेशा खुश रहूं ,आगे बढूं
बस यही एक चाह है उनकी
मेरी ख़ामोशी भी सुन लेती है मेरी माँ
दर्द मुझे और रो देती है मेरी माँ
कितना भी लड़ूँ माँ से
लाख दुआएं देती मेरी माँ
पतझड़ में बसंत एहसास है
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किसी ने कहा पहाड़ तोडना मुश्किल है
किसी ने कहा समुद्र चीरना मुश्किल है
पर सबसे मुश्किल है
इस दुनिया को खुश करना
अजीब है ये दुनिया
अजीब है इसके नियम
किसी की जान जाए तो जाए
खोट निकालना आदत है इसकी
जिस दुनिया ने 'सीता मैया 'को भी ना छोड़ा
की व्यंग्यवाणो की वर्षा
रामजी ने जानकी को छोड़ा
कोई खुश क्यों है ?
कोई दुखी क्यों है ?दुनिया को चैन ना आये
कहीं की ईट कहीं का रोड़ा
भानुमति ने कुनबा जोड़ा
क्यों हुआ ?कैसे हुआ
ये धुनुष किसने तोडा
भीड़ ने कभी परिवर्तन नहीं किया
इतिहास गवाह है
क्रांति हुई ,युग बदला
तो किसी एक ने साहस किया है
एक चिंगारी ही चीर देती है अँधेरा
जीना है तो कर दुनिया किनारा
ज़िंदगी तेरी है बस जिए जा
झुकेगी दुनिया तू बस बढे जा
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