Tuesday, September 11, 2018

दीवानगी ,पागलपन या

क्या कहे इसे 
दीवानगी ,पागलपन या अदम्य साहस 
मूर्खता तो नहीं कह सकते 
जब सोच- समझकर खुद पिया जाता है ज़हर 
पता है इस राह की मंजिल नहीं 
पर रास्ते बहुत खूबसूरत है 
और इंसान जाता है उसी राह 
 खुद को बर्बाद करने की हिम्मत 
सब में कहाँ होती है 
तो क्या कहा जाये इसे 
मोहबत ,इबादत या कुछ और 
इतना मनोबल होता है ु उस समय 
दहकते अंगारो पर भी उसे 
पथ की दहकता नहीं 
किसी की ख़ुशी दिखाई  है 
हँसते -हँसते लुटा देता है अपना सबकुछ 
किसी एक के चेहरे पर लाने को मुस्कान 
आज तक नहीं कर पाया परिभाषित 
कोई भी इंसान 
क्या है ये ?खुद मिटकर भी 
देना दुसरो को मुस्कान 
प्रेम ,इश्क़ ,चाहत और भी 
हैं कई इसके नाम 

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