Friday, April 17, 2015

anjam ki fitrat

कभी आंधी उड़ा ले जाती है
झरते पत्तों को सैलाब की तरह
उसी तरह कभी ज़िंदगी बिखर जाती है
और समेटना मुस्किल हो जाता है
अब हर किसी के पास तो
हुनर होता नहीं
गिरते पत्तों को लपक ले
गिरने से पहले
वो पत्ता भी कहाँ जानता  किस्मत
जिस साख से टुटा और अंजाम की फितरत। ....
कभी पहुँच जाता है कोई अंजाम तक
तो किसी को रास्ता ही नहीं मिलता। ............. 

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