Thursday, April 30, 2015

kash aisa ho jaye

काश ऐसा जाये
मैं और तुम  दुनिया की में खो जाये
कभी किसी अनजाने रस्ते पर
बस हम दोनों
 और ये हवाएं ,संग गुनगुनाये
कोई नया तराना
बीच सड़क ज़ोर से चिल्लाये
और हँसते -हँसते
लोट-पॉट हो जाये
ना  कुछ कहो
ना हम कुछ कहे
एक दूसरे की आँखों में
कुछ इस तरह खो जाये
न दिन का पता चले
  कब रात हो जाये
चलो एक दिन
हम दोनों जिए कुछ पल ऐसे
कुछ पागलपन ,कुछ मस्ती
 भूलकर
अपना बचपन फिर से जियें काश!!!!!!!!!
काश !ऐसा हो 

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