Sunday, August 12, 2018

मम्मी देखो न 
 ये चाँद टुकुर टुकुर  तकता है 
मुँह से तो कुछ न बोले 
पर मन ही मन ये हस्ता है 
चैन से मुझको सोने नहीं देता
खुद साडी रात चलता है
मम्मी  देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर  तकता है
इसको भी  चपत लगाओ
 खूब ज़ोर से डांट लगाओ
मुझको नींद आती है
फिर ये  सारी रात जगता है
मम्मी  देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर  तकता है
ये नहीं स्थिर मन का मन का
कभी घटता कभी बढ़ता है
कभी आकाश में छुप जाता है
 मुँह से तो कुछ न बोले
पर मन ही मन ये हस्ता है
मम्मी  देखो न
ये चाँद टुकुर टुकुर  तकता है

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