Thursday, August 9, 2018

बगावत 
क्यों नहीं सोच पाती लड़कियां 
सिर्फ अपने बारे में 
क्यों सुख ढूंढती हैं वो पुरुष की अधीनता में 
क्यों चाहिए पुरुष का कन्धा 
दुःख हल्का करने के लिए 
क्यों नहीं निकल पाती इस चक्र्व्यूह से 
क्यों नहीं नकार देती पुरुषो का अस्तित्व 
क्यों हर बार बस हारकर खुश हो जाती है 
ऐसा क्या है जो उन्हें रोके रखता है 
इस भ्र्म की दुनिया से बाहर नहीं आने देता 
क्यों नहीं अलग दुनिया बनाती अपने लिए 
क्यों समपर्ण में ही अपनी जीत समझती है 
एक बार बगावत करके तो देखे 
काँप जाएगी ये दुनिया नारी शक्ति से 
नारी अबला नहीं शक्ति है 
फिर क्यों अनजान रहती है खुद से 
जिस दिन नकार दिया नारी ने 
पुरुषो का अस्तित्व 
प्रलय आ जाएगी 
जीवन नष्ट हो जायेगा
 त्राहि त्राहि करता बेचारा पुरुष नज़र आएगा 
वंदना शर्मा 
नई दिल्ली 

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